आज तुम्हारी याद है आई ,
साथ में अपने मौत ले आई।
यूं कितनी मौतें मारोगी हमको ,
यू ना बढ़ाओ हमारे गम को।
कभी हमारे पास तो आओ ,
कुछ प्यार से हमको यूं सहलाओ।
कि, खुशनुमा हो जाए सारे नजारे ,
प्यार से भर जाए दिन-रात हमारे।
गमों का अंधेरा छटता ही जाए ,
उम्मीदों का आसमां खुलता ही जाए।
आ जाओ फिर से, वो दिन लौट आए,
और कितना इस दिल को समझाएं ।
By Ambakeshwar pathak
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