एक झलक में दिखा वो चेहरा पुराना सा
कुछ अनमना सा थोड़ा पहचाना सा
सुरमई आंखें वो और सुर्ख लाल गाल
तारों सी चमकती हंसी और बेसुध से बाल
छेड़ दिया फिर दिल को और करते गए कमाल
इस हँसी ने पलटे यूं पन्ने पुराने जिंदगी के
लगता है लौट आए गुजरे ज़माने जिंदगी के
बीते वो पल हसीन अब एहसास बन गए है
यादों में अब भी वो लम्हे खास बन गए हैं
वह बीते हुए वक्त नहीं कुछ पल थे सुनहरे
आंखों में जैसे अब भी कहीं हैं वो ठहरे
इन आंखों की कशिश ने कहा
क्या गुजरा वो जमाना था
सादगी थी रिश्तो की कहीं
क्या बेफिक्र वो याराना था।
By Ambakeshwar Pathak
1 टिप्पणी:
Nice.
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